यादों के झरोखे से लेखनी कहानी -14-Nov-2022 भाग 5
18 फरवरी २०२२
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हम सभी ने प्रसाद खरीदने के पश्चात कुछ नाश्ता करने की सोची। खाटू मे मन्दिर से कुछ दूरी पर ऐसी तीन चार दुकानें है जहाँ आप नाश्ता कर सकते है। वहाँ की कडी़ व कचौडी़ बहुत ही फेमस है।
जो दर्शनार्थी खाटू आते है वह कडी़ कचौडी़ खाने का आनन्द अवश्य उठाते है। हम सभीने भी वहाँ कडी़ कचौडी़ खाईं और उसके बाद कुछ और खरीददारी करते हुए अपनी धर्मशाला में वापिस आगये और अब सालासर श्री बालाजी के दर्शन हेतु प्रस्थान करने का तैयारी करने लगे।
सभी ने अपना अपना सामान गाडी़ में रखा और सालासर के लिए रवाना हो गये।
हम सभी कीर्तन करते हुए दस बजे के लगभग सालासर पहुँच गये। वहाँ हम सीधे बालाजी के मन्दिर में गये। वहाँ प्रसाद लिया और श्रीबालाजी के दर्शन हेतु लाइन में लग गये।
वहाँ पर भी लम्बी लाइन लगी हुई थी। श्री बालाजी के दर्शन करने के बाद हम सभी अंजनी माता के मंदिर मे दर्शन करने हेतु पहुँचे। क्यौकि यह कहा जाता है कि बालाजी के दर्शन करने के बाद यदि अंजनी माता के दर्शन न किये जाय तब बालाजी के दर्शन आधे अधूरे रह जाते है।
अतः हमभी जब भी सालासर आते है तब अंजनी माता के दर्शन हेतु अवश्य आते है। हमने अंजनी माता के दर्शन करने के बाद खाना खाने का प्रोग्राम बनाया क्यौकि अब बारह बजने वाले थे। अतः सालासर में ही स्थित श्री बालाजी चैरिटेवल ट्रष्ट नामसे एक धर्मशाला मे हम सभी खाना खाने पहुँच गये। यहाँ का खाना बहुत ही शुद्ध व साफ होता है।
वहाँ पर बारह बजे तक खाने की पर्ची कटवानी होती है हमने शीघ्र ही सभी की पर्ची कटवाई।
वहाँ खाना खाकर कुछ देर आराम किया और अब आगे की यात्रा पर चलने के लिए तैयार होगये।
आगे का वर्णन अगले एपीसोड मे पढि़ए।
यादों के झरोखे से २०२२
नरेश शर्मा " पचौरी "
Radhika
09-Mar-2023 01:00 PM
Nice
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shweta soni
03-Mar-2023 10:21 PM
Very nice
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अदिति झा
03-Mar-2023 02:37 PM
🙏🏻🙏🏻
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